अम्बेडकरनगर। वेस्ट्रीज हिल्टन स्कूल मकोइया में सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा नज्म के लेखक शायर अल्लामा इकबाल के जन्म दिवस को उर्दू डे के रूप में मनाया गया। प्रधानाचार्य मोहम्मद मोहसिन खान की अध्यक्षता,अतुल त्रिपाठी के संरक्षण व शबनूर के संचालन में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ कौमी गीत से हुआ।इस मौके पर उर्दू जुबान को बुलंदी और ऊंचाइयों पर पहुंचाने की बात वक्ताओं ने कही। कार्यक्रम में सितारे उर्दू अवार्ड वार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने कहा की अल्लामा इकबाल की जिंदगी उर्दू की तरक्की और समाज को नई दिशा देने में बीती। उन्होंने सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा तराना लिखकर वतन से मोहब्बत करने का संदेश भी दिया।उनकी शायरी में समाज को एक नई दिशा देने का संदेश झलकता है। प्रधानाचार्य मोहम्मद मोहसिन खान ने कहा कि शायर इकबाल ने उर्दू जुबान के माध्यम से समाज में बहुत सारी बुराइयों को खत्म करने का काम किया है। उनकी शायरी ने लोगों को जोड़ने और एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया। अतुल त्रिपाठी ने कहा कि आज उर्दू को सिर्फ मुसलमानों की जुबान के तरह जाना जाता है,जबकि ऐसा नहीं है।यह हिंदी की बहन के रूप में जानी जाती है। नूरजहां खान ने कहा कि उर्दू एक ऐसी जुबान है, जिसमे मिठास है ,यह लोगों को अपनापन का महसूस कराती है। शबनूर ने शायर अल्लामा इक़बाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने उर्दू भाषण,ग़ज़ल,नज़्म पेश कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।इस अवसर पर शबनूर, कहकशां, अतुल त्रिपाठी,उम्मे हबीबा,मो. अशरफ, हसन अशरफ,अकसा खान, आयशा खातून व अन्य मौजूद थे।
अम्बेडकरनगर। वेस्ट्रीज हिल्टन स्कूल मकोइया में सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा नज्म के लेखक शायर अल्लामा इकबाल के जन्म दिवस को उर्दू डे के रूप में मनाया गया। प्रधानाचार्य मोहम्मद मोहसिन खान की अध्यक्षता,अतुल त्रिपाठी के संरक्षण व शबनूर के संचालन में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ कौमी गीत से हुआ।इस मौके पर उर्दू जुबान को बुलंदी और ऊंचाइयों पर पहुंचाने की बात वक्ताओं ने कही। कार्यक्रम में सितारे उर्दू अवार्ड वार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने कहा की अल्लामा इकबाल की जिंदगी उर्दू की तरक्की और समाज को नई दिशा देने में बीती। उन्होंने सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा तराना लिखकर वतन से मोहब्बत करने का संदेश भी दिया।उनकी शायरी में समाज को एक नई दिशा देने का संदेश झलकता है। प्रधानाचार्य मोहम्मद मोहसिन खान ने कहा कि शायर इकबाल ने उर्दू जुबान के माध्यम से समाज में बहुत सारी बुराइयों को खत्म करने का काम किया है। उनकी शायरी ने लोगों को जोड़ने और एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया। अतुल त्रिपाठी ने कहा कि आज उर्दू को सिर्फ मुसलमानों की जुबान के तरह जाना जाता है,जबकि ऐसा नहीं है।यह हिंदी की बहन के रूप में जानी जाती है। नूरजहां खान ने कहा कि उर्दू एक ऐसी जुबान है, जिसमे मिठास है ,यह लोगों को अपनापन का महसूस कराती है। शबनूर ने शायर अल्लामा इक़बाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने उर्दू भाषण,ग़ज़ल,नज़्म पेश कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।इस अवसर पर शबनूर, कहकशां, अतुल त्रिपाठी,उम्मे हबीबा,मो. अशरफ, हसन अशरफ,अकसा खान, आयशा खातून व अन्य मौजूद थे।
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