लखनऊ : आशियाना स्थित आस्था मैटरनिटी एण्ड लैपरोस्कोपी सेन्टर में रविवार को लैपरोस्कोपिक कार्यशाला तथा सीएमई आयोजित हुआ। संस्था प्रमुख तथा कार्यक्रम की संयोजक डाॅ. सुमिता अरोरा ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य लैपरोस्कोपिक सर्जरी को बढ़ावा देना रहा।
कार्यशाला में महिलाओं से संबंधित विकारों पर परिचर्चा तथा इन्फर्टिलिटी एवं गर्भाशय संबंधित समस्याओं के लिए नयी तकनीक का प्रदर्शन किया गया।
आयोजन में आस्था मैटरनिटी एण्ड लैपरोस्कोपी सेन्टर की प्रमुख तथा प्रसिद्ध लैपरोस्कोपिक सर्जन डाॅ. सुमिता अरोरा, मणिपाल हाॅस्पिटल के लैपरोस्कोपिक सर्जन डाॅ. बिजाॅय नायक और सोनीपत के प्रसिद्ध लैपरोस्कोपिक सर्जन डाॅ. अखिल सक्सेना मुख्य वक्ता तथा नयी तकनीक का प्रदर्शन किया।
डाॅ. सुमिता ने कहा स्त्री रोग विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया था।
उन्होंने कहा कि लैपरोस्कोपिक सर्जरी मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है।
गर्भधारण की क्षमता को बढ़ाने वाली लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के बारे में लोगों में जागरूकता कम है, जिसका प्रसार करने की जरूरत है। इस सर्जरी की खूबियों के बारे में कम जानकारी के कारण अनेक दंपति बेचैन होकर शीघ्र ही आईवीएफ तकनीक का सहारा लेने का निर्णय लेते है।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी नि:सतान या बाझ दंपतियों के लिए वरदान के रूप में सामने आ चुकी है। ओपन सर्जरी की तुलना में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के कई फायदे हैं।
सर्जरी के दौरान रक्तस्राव न के बराबर होता है।
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